सोमवार, 6 अप्रैल 2009

गधा कौन?

एक गधे ने सोचा क्यों ना घोड़ा बन कर सब को बेवकूफ बनाऊ। बस फिर क्या था उसने अपना रूप घोडे जैसा बना लिया और दुनिया के सामने प्रकट हो गया। यहाँ उसे खूब प्रतिसाद मिला। वो भूल गया कि वो एक गधा है। उसका मान-सम्मान होने लगा। एक दिन उसे घुड़दौड़ का आमंत्रण प्राप्त हुआ, इस घुड़दौड़ में उसे वरीयता दी गई।
जब घुड़दौड़ प्रारम्भ हुई और उसकी पोल खुली तो सब उसे गालिया देने लगे। उसने सोचा उसकी क्या गलती है? उसने जो चाहा वो किया। गधा तो वो था ही, किन्तु जो उसे घोडा मान बैठे वो क्या है?
जी हां , चुनाव फिर आया है, बहुत बकवास कर ली हमने। फलाना नेता बेकार है, फलां ऐसा है, वैसा है। बहुत बोल लिए। आखिर अब तक हम ही तो उन्हें सत्ताभोग दे रहे थे। गलती हमारी, और हम नेताओ को दोष दे? सोचिये गधा कौन है? घुड़दौड़ शुरू होने वाली है, पता भी चल गया है गधे का.... अब सही घोडे कि तलाश करे।

10 टिप्‍पणियां:

  1. जानें क्यूं आपका परिचय एक तरह से मुझे अपना ही परिचय लगा, मानों मै आईने के सामने अपना ही परिचय बांच रहा हूं।

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  2. अमिताभ जी,
    आपने बहुत सहजता से भारतीय मतदाताओं को एक सार्थक सन्देश दिया है,
    लेकिन क्या ये संभव है स्वार्थ की राजनीति के चलते ?
    - विजय

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  3. बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुंदर टिपण्णी और ख़ूबसूरत शायरी के लिए!
    आपकी लेख तो काबिल ऐ तारीफ है ! बिल्कुल सही संदेश दिया है आपने!

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  4. Don't know this "Shudh" hindi.. I loved the way, you have used the comparison, an intelligent way of writing.

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  5. बहुत ही सहज सरल तरीके से
    बहुत ही नपे-तुले अंदाज़ में
    और
    बहुत ही सटीक शैली में एक सार्थक सन्देश
    बधाई
    ---मुफलिस---

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  6. amitabh ji kya kahen yh to hum matdata hi hain jinko aap gadha kah rhe hain..achchha lga..sunder rchna

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  7. chintan ka header hindi me kar dijiye fir mai bhi hindi me tippni kiya karoonga......aasha hai ma lenge....

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